आजकल की नारियां, जैसे बड़ी बीमारियां
रूप के जलवे चकाचक, नाभि तक हैं बालियां
फेसबुक, आर्कुट और ट्विटर से चिपकी रहें
देश, धर्म, समाज है इनके लिए दुश्वारियां
मौज मस्ती रात दिन, मां-बाप की काहे सुनें
जो कुंवर समझाइए, मारे पलट फुफकारियां
जो बची इन रोग से, उनको नमन स्वीकार हो
रूप के जलवे चकाचक, नाभि तक हैं बालियां
फेसबुक, आर्कुट और ट्विटर से चिपकी रहें
देश, धर्म, समाज है इनके लिए दुश्वारियां
मौज मस्ती रात दिन, मां-बाप की काहे सुनें
जो कुंवर समझाइए, मारे पलट फुफकारियां
जो बची इन रोग से, उनको नमन स्वीकार हो
हे प्रभु इन बेटियों की तुम करो निगरानियां
कुंवर प्रीतम
2 comments:
नारी तेरे रूप अनेक ....!
नारी तेरे रूप अनेक ....!
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