Wednesday, August 31, 2011

कुंवर प्रीतम के मुक्तक

मस्त फकीरा जीवन है,पर ख्वाब सुहाने रखता हूं
अपने पुरखों की तहजीबें,मैं सिरहाने रखता हूं
जिसको शोहरत कहते हो तुम,वो मेरे पैताने में
अपने दिल की कुटिया में कई राजघराने रखता हूं
कुंवर प्रीतम

2 comments:

एक स्वतन्त्र नागरिक said...

ऐसे ही शायराना मिजाज़ और फक्कड़ किस्म के लोग समाज के लिए कुछ कर सकते है.
यदि मीडिया और ब्लॉग जगत में अन्ना हजारे के समाचारों की एकरसता से ऊब गए हों तो कृपया मन को झकझोरने वाले मौलिक, विचारोत्तेजक आलेख हेतु पढ़ें
अन्ना हजारे के बहाने ...... आत्म मंथन http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com/2011/08/blog-post_24.html

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