Monday, August 8, 2011

कल सूरज की किरणों का भी, बिल आएगा भाई रे


महंगाई ने कहर ढा दिया, जान बचाओ भाई रे
कल सूरज की किरणों का भी, बिल आएगा भाई रे

बाबू जी हैं शहर गए और मां बैठी इन्तजारी में
डाकिया बाबू अब मनियाडर, कब लाएगा भाई रे

शहर के बच्चे खेल रहे हैं गेम वीडियो और फेसबुक
मजदूर-किसान का बेटा पढ़ने, कब जाएगा भाई रे

पौबारह पच्चीस हुए सब दिल्ली वाले नेतवन के
गांव हमारा बिजली-पानी, कब पाएगा भाई रे

उनकी डाटर लिखी-पढ़ी थी,शहर भागकर चली गयी
दुखिया आंगन अपनी बिटिया,कब ब्याहेगा भाई रे

मलकीनिया के तेवर देखे,मॉल गयी है बनी-ठनी
गांव-मोहल्ले गीत खुशी के कब गाएगा भाई रे

बाबू के घर गैस सिलेंडर,गाड़ी,फ्रीज,टेलीविजन
बेर हमारा जूठा रघुवर,कब खाएगा भाई रे

कुंवर प्रीतम

2 comments:

deepti sharma said...

hahahahaha
bahut badiya

Unknown said...

Bahut Badhiya Preetam ji..

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