Tuesday, August 9, 2011

बहना मेरी

तब  था मैं बस छोटा सा, जब तू थी जीवन में आई,

पुलकित था मन हर्षित था, जब तू थी आँगन में आई |



बाल मन भी गदगद था, खुशियाँ खुद अंगना थी आई,

संग पलने संग बढ़ने को, जीवन में बहना थी आई |



हाथ मेरे बांधेगी राखी, सोच के मन उद्वेलित था,

खेलूँगा इस गुडिया से, जान के मन प्रफुल्लित था |



जैसे जैसे जीवन बीता, तू बस खुशियाँ देती गयी,

जीवन के हर एक मोड़ पर, तू बस खुशियाँ देती गयी |



आज तेरा निज जीवन है, पर मेरे लिए तू वैसी है,

गृहस्थ में तू है व्यस्त बड़ी, पर बहना मेरी तू वैसी है |



हाथ मेरा इंतजार है करता, राखी के त्यौहार का,

राखी से तेरे हाथ सजेगा, अमूल्य उस उपहार का |



दुआ है मेरी इश्वर से, सुख पाये बहना मेरी,

जो गम आये मुझे मिले, खुश रहे बहना मेरी |


www.pradip13m.blogspot.com

4 comments:

deepti sharma said...

aap bhai bahan ka ye pyar khuda salamat rakhe
bahut khubsurat

Unknown said...

धन्यवाद दीप्ति जी |

कविता रावत said...

bahut badiya...
shubhkamnayen!

Unknown said...

Dhanyawad Kavita ji..

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