हे नारी तू सागर है
जहां नदियाँ मिलतीं आकर हैं
पुरुष समझता आधा - पौना
कहता घरेलू गागर है.....
जिसने भाँप लिया रत्नों को
तेरे आँचल के साए में,
समझो सही अर्थ में उसका
देवी - देवताओं का घर है.....
जहां नदियाँ मिलतीं आकर हैं
पुरुष समझता आधा - पौना
कहता घरेलू गागर है.....
जिसने भाँप लिया रत्नों को
तेरे आँचल के साए में,
समझो सही अर्थ में उसका
देवी - देवताओं का घर है.....
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