कैसे गर्व करें हिन्दी पर,गांव-गरीब की भाषा है
जन-जन बोले भाषा अपनी,यह अपनी अभिलाषा है
दिवस एक हिन्दी का,लेकिन इंग्लिश चलती सालों-साल
नेता-अभिनेता हिन्दी के, इंग्लिश बोल फुलावें गाल
कामकाज और बोलचाल में,हरसू इंग्लिश का दमखम
हिन्दुस्तान की अपनी भाषा का कब लहरेगा परचम
प्रेमचन्द,प्रसाद,दिनकर ने जिसको समृद्ध किया
उस हिन्दी का मार्ग आज की पीढ़ी ने अवरूद्ध किया
इंग्लिश जैसे नार परायी,या होटल की नान-दाल
हिन्दी लेकिन माता अपनी,यही करेगी हमें निहाल
आओ बन्धु,आज शपथ लें,परचम इसका लहराएंगे
बोलचाल और कामकाज में हिन्दी ही अपनाएंगे
कुंवर प्रीतम
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