Saturday, October 22, 2011


है अगर रिश्ता हमारा सूर्य के परिवार से
दो कदम आगे बढ़ें और घर भरें उजियार से
दीप उम्मीदों के जलाएं,रोशनी हरसू करें
कब तलक डरते रहेंगे हम घने अंधियार से
कुंवर प्रीतम

1 comment:

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत खूब सर!

सादर

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