Friday, October 7, 2011


हिम्मत से मत हार रे पगले,रोना-गाना छोड़
खुद के दम पर बढ़ आगे,भाग्य बंचाना छोड़
मेहनत और साहस के आगे झुक जाएगा ईश्वर भी
मत बेचैन रहा कर,दिन-दिन मंदिर जाना छोड़
कुंवर प्रीतम


विधाता भी गजब संसार में अपना खेल दिखाता है
जिसे था भूलना हमको, उसी की याद दिलाता है
रावण मारकर श्री राम ने आलोकित किया जग को
मगर हम हैं कि बस हमको अंधेरा याद आता है
कुंवर प्रीतम


उल्फत,अरमां,तड़प,बेबसी और चाहत
तौबा कर इन सबसे,वरना होगा आहत
फंसने का ये जाल बिछाया खुद ईश्वर ने
खो बैठेगा चैन रे पगले,नहीं मिलेगी राहत
कुंवर प्रीतम

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