Thursday, November 3, 2011

इधर आंसू हमारे हैं, उधर जलवे तुम्हारे हैं...

इधर आंसू हमारे हैं
उधर जलवे तुम्हारे हैं
कहीं बरसात का मौसम
कहीं झिलमिल सितारे हैं...
मयस्सर ही नहीं मिलना
कि दूरी कम नहीं होती,
कभी लगता है एक दरिया
और हम - तुम दो किनारे हैं...
फ़क़त अब एक सहारा है
तुम्हारी मुस्कराहट का,
नहीं तो ज़िन्दगी में अब
कहाँ मुमकिन बहारें हैं...
तुम्हें देखें कहीं जब खुश
तो हम भी मुस्कुरा लेते,
यही जीने का एक जरिया
समझ लो पास हमारे है....

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