Saturday, November 5, 2011

वो




आंचती हुई काजल को 
वो कैसे मुस्कुरा रही है |,

लुफ्त उठा जीवन का 
मोहब्बत की झनकार में
अपनी धुन में मस्त उसकी 
पायलियाँ गीत गा रही हैं |

केशो को सवारकर  
चुनरी ओढ़ वो घूँघट में 
लज्जा से सरमा रही है |

साज सज्जा से हो तैयार
खुद को निहार आइने में 
नजरे झुका और उठा रही है |

इंतज़ार में मेरे वो सजके 
भग्न झरोखे में छिपकर 
मेरा रास्ता ताक रही है |

- दीप्ति शर्मा 

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