जिसकी आँखें नहीं थी कोई मामूली आँखें
जिसकी मुस्कराहट नहीं थी कोई मामूली मुस्कराहट
जो करोड़ों दिलों की जैसे रहा हो ज़िन्दगी
वो दिल की वजह से गया ज़िन्दगी से
नहीं मानता दिल - नहीं मानता.....
जिसने ना जाने कितने ही सपने दिए
जिसने न जाने कितनी खुशियाँ बिखेरी
जो जैसे आशिकी की रहा हो एक किताब
वो हुआ बंद पन्नों में यूं इस तरह
नहीं मानता दिल - नहीं मानता.....
जिसने जो भी किया पूरे दिल से किया
जिसने कितनों को सबब जीने का दे दिया
रुपहले परदे की इतने सालों जो पहचान था
वो यूं कभी परदे के पीछे भी जाएगा
नहीं मानता दिल - नहीं मानता.....
जिसकी मुस्कराहट नहीं थी कोई मामूली मुस्कराहट
जो करोड़ों दिलों की जैसे रहा हो ज़िन्दगी
वो दिल की वजह से गया ज़िन्दगी से
नहीं मानता दिल - नहीं मानता.....
जिसने ना जाने कितने ही सपने दिए
जिसने न जाने कितनी खुशियाँ बिखेरी
जो जैसे आशिकी की रहा हो एक किताब
वो हुआ बंद पन्नों में यूं इस तरह
नहीं मानता दिल - नहीं मानता.....
जिसने जो भी किया पूरे दिल से किया
जिसने कितनों को सबब जीने का दे दिया
रुपहले परदे की इतने सालों जो पहचान था
वो यूं कभी परदे के पीछे भी जाएगा
नहीं मानता दिल - नहीं मानता.....
1 comment:
dev sahab kya kahe unake baare mein
bas unke jaane se ek khaalipan se ho gaya hain
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