Monday, January 30, 2012

ये मेरे कुछ शेर.....

उन्हें क्या पता उस दिल की मुहब्बत
जिसको कभी आजमाकर न देखा,
कहते हैं यूं तो कि दुनिया है देखी
मगर अपना दिल आजमाकर न देखा
---------------------------------------------------------
रोज़ ढूंढते हैं नयी तरकीब उन्हें भुलाने के वास्ते
रोज़ चले आते हैं वो अपनी याद दिलाने के वास्ते
---------------------------------------------------------
क्यों बुझा सा फिर रहा यार तू इधर - उधर
देख तो तेरे लिए दिल चिराग हो गया......
---------------------------------------------------------
हमको तो जो कहना था कह गए अब तो
उसका ही समझने का इरादा नहीं लगता....
---------------------------------------------------------
जब इरादे नेक हों और हौसले भी हों बुलंद
क्या वजह कि आसमां भी हो नहीं क़दमों तले
---------------------------------------------------------
सोचा था मिलके दिल की एक किताब लिखेंगे
तुमने तो यार इश्क को अखबार कर दिया.....
---------------------------------------------------------
मजे में पड़े हो उफ़ तक नहीं करते
तुम्हें याद मेरी आती नहीं क्या,
न हिचकी, न फ़ोन.और न मेसेज
तुम्हें दूरियां ये सताती नहीं क्या....
---------------------------------------------------------
कई शेर कहते हम औरों की खातिर
हर शेर दिल पे लिया मत करो जी,
फ़साना बयाँ होता है आशिकों का
तुम शक हमपे किया मत करो जी...
---------------------------------------------------------
बहुत है नाज़ तुझको आसमानी तेवरों पर तो
समझ लेना कि दिल तलवार से जीता नहीं जाता
---------------------------------------------------------
जख्म दे तो दिया अब लेकर फिरो
हाथ में तुम भले मरहम-ओ-पट्टियां,
दिल जो टूटे कभी ज़ल्द जुड़ता नहीं
जुडती हैं जिसतरह हड्डियां - वड्डियां....
---------------------------------------------------------
क्या वजह कि इश्क दबा हुआ, क्यों उडी हुई हैं हवाइयां
क्यों दूर - दूर ही फिर रहे, क्यों बढ़ा रहे रुस्वाइयां......
---------------------------------------------------------
मैं सिहर उठा रग-ओ-जान तक
हर लफ्ज़ दिल में उतर गया,
तू पसंद था यूं तो पहले भी
ये खुमार हद से गुजर गया...
---------------------------------------------------------
चलो जिद छोड़ दो चर्चित बदल दो रास्ता अपना
कि जिसपे चल रहे हो तुम ये उस दिल तक नहीं जाता
---------------------------------------------------------
जज़्बात बहुत दिख रहे अलफ़ाज़ कहाँ हैं
तुम पर तो फडफडा रहे परवाज़ कहाँ है,
बेचैनी बहुत दिखती पर ऐन मौके पे गायब
गर है जूनून-ए-इश्क तो आगाज़ कहाँ है
---------------------------------------------------------
गर खुदा पे है यकीन फिर सवाल क्यों
बंदगी सच्ची तेरी तो फिर मलाल क्यों
चुपचाप किये जा तू इबादत यूं इसतरह
खुद खुदा कहे कोई और फिलहाल क्यों
--------------------------------------------------------- 
यूं शोखी - शरारत - अदा बांकपन
नहीं ठीक लगती है नीयत तुम्हारी
--------------------------------------------------------- 
हमारा फ़र्ज़ था कोशिश वो हमने पहले ही कर ली
अब बारी है खुदा तेरी तू अपना फ़र्ज़ अदा कर दे
--------------------------------------------------------- 
ये आँखें हर घड़ी रहती हैं सिर्फ महबूब तुझ पर ही
तुझे चलता है मगर पता इत्तेफाकन कभी - कभी
--------------------------------------------------------- 
बेरुखी - बेदिली - बेमज़ा दिल्लगी
बेवजह - बेतहाशा सी ये ज़िन्दगी
चोट पे चोट से हाल दिल का बुरा
क्या करें ना करें जो दुआ बंदगी
--------------------------------------------------------- 
जो रूठा है वो मानेगा, तबीयत से तुम आओ तो
ज़रा उसकी सुनो कुछ तुम, ज़रा अपनी सुनाओ तो

  - Copyright © All Rights Reserved  

4 comments:

vidya said...

बहुत खूब...
सब एक से बढ़ कर एक..
शुभकामनाएँ.

Urmi said...

सभी शेर लाजवाब लगा! उम्दा प्रस्तुती!

Sh@s said...

Lovely. Keep writing!

विशाल चर्चित (Vishal Charchit) said...

हौसला अफजाई के लिए आप सभी दोस्तों का तहे दिल से शुक्रिया !!!

LinkWithin

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...