आजकल सुन्दर नुमाइशी महिलाओं की मांग काफी बढ़ गयी है........पहले तो खाली सौन्दर्य प्रसाधनों और महिलाओं और घर - गृहस्थी से जुडी चीज़ों के विज्ञापन के लिए ही इनकी ज़रुरत होती थी लेकिन आजकल तो हर जगह इनका ही बोलबाला है.........अब भला बताइये कि नयी कार की लॉन्चिंग में भला इनका क्या काम?? लेकिन नहीं आप देखेंगे कि कार के दोनों तरफ दो सुन्दर बालाएं विराजमान ही रहती हैं...........क्रिकेट - फ़ुटबाल के मैच में सोचिये कि सुंदरियों का क्या काम पर वहाँ भी चीयर लीडर बनाकर बुला लिया जाता है...........कुछ डांस - वांस दिखाकर लोगों को बांधकर रखने के लिए.........तमाम सांस्कृतिक कार्यक्रमों - पुरस्कार वितरण समारोहों में भी मंच संचालन में भी इनकी मौजूदगी अनिवार्य हो गयी है..........यहाँ इनका काम सिर्फ कागज़ में से देख - देखकर अंग्रेजी में विजेताओं का नाम पुकारना होता है.........नेता लोग भी चुनाव प्रचार में अपने साथ दो - चार को रखते ही हैं........इनका काम भाषण नहीं बल्कि सिर्फ हाथ हिलाना होता है.......अब जब हर क्षेत्र में इन नुमाइशी महिलाओं की घुसपैठ हो गयी है तो हमारे साहित्यकार भाई लोग कहाँ से पीछे रहते..........उन्होंने भी शुरू कर दिया इनके जादू का सहारा लेना............अब चाहे रचना या ग़ज़ल का सौन्दर्य से लेना - देना हो या न हो एक सुन्दर बाला ला कर कड़ी कर देते हैं...........लिख रहे हैं जीवन दर्शन पर माता जी की फोटो होना जरूरी है.........सुना रहे हैं ग़ज़ल में अपनी ज़िन्दगी का दुखड़ा पर यहाँ भी वो बाई जी मौजूद हैं..........इस बारे में इन महारथियों का मानना है बिना किसी आकर्षण के इनकी रचना पे किसी कि नज़र ही नहीं जाती........मैंने भी सोचा कि यार इनकी बात तो ठीक है.......कोई चुम्बक तो होना ही चाहिए पाठकों को खींचने के लिए...........तो इसतरह अब जाकर मेरी आँख खुली और पता चला कि आखिर लोग कैसे बहुत जल्दी बड़े साहित्यकार बन जाते हैं........उनके पाठकों की संख्या दिन - दूनी रात चौगुनी दर से बढती हैं जबकि हमारी रचनाओं पे हमेशा पतझड़ ही छाया रहता है........इसलिए सोचा है की अब अपन भी सुन्दरता का जादू चलाएंगे..........तो लीजिये पहला नमूना पेश है.............!!!
5 comments:
इसलिए सोचा अपन भी सुंदरता का ..........
व्यंग अच्छा है बात भी सही है पर इस तरह से कोई सफलता नहीं पा सकता ये क्षणिक
लोकप्रियता मात्र हो सकती है सच्ची कला किसी की मोहताज नहीं होती
.......इसीलिए तो व्यंग्य लिखा ममता जी...........साथ में तस्वीर किसी सुन्दर महिला की न लगाकर ये लगाईं...........!!!
हा हा, अपने अपने मानक सबके..
प्रवीण भाई से सहमत हूं
vicharniya lekh
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