Thursday, February 23, 2012

होते हैं कुछ ऐसे भी लोग.....

होते हैं कुछ लोग
घुट - घुट कर जीने के आदी
जो चाहते तो हैं बहुत कुछ
कहना - बताना, सुनना - सुनाना
पर रोक देता है हर बार
उनका घमंड - उनका अहंकार
आखिर कैसे कहें - कैसे झुकें
और रह जाते हैं तन्हा 
अक्सर इसी वजह से,
खुद से कहते - खुद की सुनते
खुद के खयालों का ताना बाना बुनते
उनका न होता है कोई रास्ता -
उनकी न होती है कोई मंजिल
बस चलते रहते हैं यूं ही
और जब आता है उन्हें होश
तो हो चुकी होती है बहुत देर
निकल चुके होते हैं बहुत दूर
छोड़ करके न जाने कितने पड़ाव 
न जाने कितने अपनों को
फिर रह जाता है उनके पास 
सिर्फ पछताना - हाथ मलना 
और खाली - खाली सी ज़िन्दगी.....

- Copyright © All Rights Reserved

2 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

खुल कर जियें...

vidya said...

i'm speechless...
deep expressions..

LinkWithin

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...