Thursday, February 16, 2012

ये मेरे कुछ शेर.....


उन आँखों में शरारत की मस्ती क्यों जाएँ भला हम मयखाने
छाया वो नशा कि कब उतरे या वो जाने रब जाने,
हमने तो सभी कुछ छोड़ दिया दीन-ओ-दुनिया उनपे कब का
अब क्यों-कैसे-कितना जीना या वो जाने रब जाने.... 
-------------------------------------------------------------------------
हमें मालूम है पक्का कि वो अपने नहीं होंगे
मगर दिल है बड़ा जिद्दी वहीँ अटका पडा अब भी 
------------------------------------------------------------------------- 
वो वादे किये तोडा किये खुद ही मुह मोड़ा किये
हम एकतरफा ही हमेशा उनसे दिल जोड़ा किये 
------------------------------------------------------------------------- 
दिया था दिल उन्हें हमने बड़े अरमान से लेकिन
उन्होंने हँसते - हँसते ही परिंदे सा उड़ा डाला..... 
------------------------------------------------------------------------- 
बड़ा नायाब है उसका सलीका मेजबानी का
कि जो आता है दर उसके दिल अपना छोड़ जाता है
------------------------------------------------------------------------- 
तू गुल है तो सही लेकिन महकना सीखना होगा
किसी के वास्ते खिलना ज़रूरी सीखना होगा,
कि कांटे को मुहब्बत है तभी यूं साथ होता है 
तुझे इसका भी दिल रखना ज़रूरी सीखना होगा 
------------------------------------------------------------------------- 
अब तो वो बुलाएं भी तो यकीन नहीं आएगा
दिल अब और उनकी बातों में नहीं आएगा,
माना कि बहुत नाज है उन्हें अपने हुनर पे 
पर आज नहीं तो कल उन्हें भी रोना आएगा 
------------------------------------------------------------------------- 
चलो अच्छा है कि तुमको कोई अब रास तो आया
जुबां पर अब किसी के वास्ते अलफ़ाज़ तो आया
हमारा क्या है जी लेंगे तुम्हारा नाम ले लेकर
ख़ुशी है कि तुम्हें जीने का एक अंदाज तो आया 
------------------------------------------------------------------------- 
है एकतरफा ही सही पर जां में जां आती है तब 
जब वो निकलते हैं अदा से रात में तफरीह को 
------------------------------------------------------------------------- 
लेना हो जितना ले लो तुम इम्तहान लेकिन
देख लो मुहब्बत में इतना गुरूर अच्छा नहीं 
------------------------------------------------------------------------- 
ज़िन्दगी लो आ खड़ी है फिर सुहाने मोड़ पर
फिर से दिल तकदीर की बाजीगरी से डर रहा 
मुहब्बत ना सही लेकिन करो नफरत ही खुलकर तुम
नहीं तो खाए जाता है हमारे बीच सन्नाटा....
------------------------------------------------------------------------- 
आज भी आवाज़ टकरा के लौट आई
आज फिर यकीन हुआ दिल नहीं वो पत्थर है
-------------------------------------------------------------------------
जब देखो तब मेरी उल्फत पे शक
कहो तो ये दिल चीर कर अब दिखा दूं
-------------------------------------------------------------------------
हाय उनका दिल - हाय उसका मौसम
मर गए इसके बदलने में हम....

 - Copyright © All Rights Reserved

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

गहरे शेर, पढ़कर आनन्द आ गया..

LinkWithin

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...