Monday, March 26, 2012

वो

झटक कर जाती है जुल्फ़े
बड़ा इतराती है वो
क्या पता कितनों के
दिल पर कहर ढ़ाती है वो
जानते हैं ये जुल्फ़े उनकी नहीं
खरीद बाजार से घर पर
नकली जुल्फ़े लगाती है वो
देखो जरा
नकली जुल्फ़ों के दम पर
कितने ठुमके लगाती है वो
मत मरो ए दिवानों
इसकी अदाओं पर
अदाओं से ही घायल बनाती है वो
©दीप्ति शर्मा


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