Thursday, March 8, 2012

महिला दिवस.....


नारी यानि महिला यानि ऊमन
इक्कीसवीं सदी का सबसे महत्वपूर्ण वर्ग,
और इस महत्वपूर्ण वर्ग का आज है दिन
वूमन्स डे - महिला दिवस
तो क्या मान लिया जाय कि
अब नारी नहीं रही विवश?
क्योंकि मिल गया है इसे
साल के 365 में से एक दिवस?
जन्म देने और पालन से लेकर
घर - गृहस्थी - समाज - देश - दुनिया
सब जगह आधे से ज्यादा का योगदान
करने वाली महिलाओं के लिए सिर्फ एक दिन?
क्यों नहीं हो इनका - इनके लिए हर दिन?
क्या चल सकता है ये देश - ये संसार
एक कदम भी इनके योगदान के बिन?
नहीं न ? तो फिर क्यों इनके लिए एक दिन ??
मैं चाहता हूँ इनका - इनके लिए हर दिन
क्योंकि बेकार - बेसबब - बेमतलब है
हर घडी - हर लम्हा - हर दिन.........
माँ - बहन - बेटी - भाभी - पत्नी - प्रेमिका
सब ही तो हैं ज़रूरी इंसानी ज़िन्दगी के लिए,
इनकी ममता - इनका अपनापन - इनका प्यार
जैसे सांस है - धड़कन है किसी के लिए....
इसलिए हृदय से कामना है - शुभकामना है
इनके लिए - इनकी हर ख़ुशी के लिए !!!

4 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

सबको वर्षपर्यन्त शुभकामनायें..

ghughutibasuti said...

विशाल जी की भावनाओं के लिए आभार।
हाँ, हर दिन स्त्री का है। दिन तय कर देने से शेष दिन उनके बिना बिताए जा सकते हैं ऐसा तो नहीं हो सकता। एक दिन मजदूर दिवस भी तय है किन्तु एक पल भी संसार उनके बिना भी नहीं चल सकता।
घुघूतीबासूती

Monika Jain said...

sarthak rachna

महेन्‍द्र वर्मा said...

अच्छा संदेश और अच्छी कामना।

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