Wednesday, April 11, 2012

यूँ तो हमने....

यूँ तो हमने कोशिशें समझाने की बहुत की
उसको ही दूर जल्दी मगर जाने की बहुत थी

हमने कहा बहुत कुछ उसने सुना बहुत कुछ
उसको बुरी एक आदत भूल जाने की बहुत थी

हम कभी न बदले थे न बदले हैं न बदलेंगे
उसको ही मगर जल्दी बदल जाने की बहुत थी

अरमान थे कि उसको अपना जहां बनाएं
उसकी जहां में चाहत छा जाने की बहुत थी

कोशिश रही वफ़ा पर उंगली उठे न चर्चित
उसकी तमन्ना चर्चा में यूँ आने की बहुत थी


- VISHAAL CHARCHCHIT

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

बेहतरीन अभिव्यक्ति, गतियों का अन्तर घर्षण उत्पन्न करता है।

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