होता है कभी - कभी कि
जिस तरफ जाना हमारे लिए
होता है नुकसानदायक
होता है कई बार गलत भी
दिल जाता है बार - बार
अक्सर उधर ही - उसी तरफ....
जैसे कि मना किया जाए अगर
नहीं करना ये काम तुम्हें
ये गलत है - ये पाप है
तो मान लेता है हमारा दिमाग
लेकिन कहाँ मानने वाला है दिल
वो बार - बार जाएगा उसी चीज़ पर....
जानते हैं सभी कि नशा कोई भी हो
होता है बहुत बुरा - बहुत घातक,
जानता है ये बात वो नशेडी भी
जो हो चुका है इसका आदी,
लेकिन जब लगती है तलब
जब करना शुरू करता है दिल जिद
नहीं याद रहता कुछ भी उसे, और -
बढ़ जाते हैं कदम खुद - ब - खुद
उस तरफ....उस नशे की तरफ.....
क्योंकि ये देता है उसके दिल को
एक सुकून - एक राहत और शायद
कुछ पल के लिए एक नयी ज़िन्दगी भी....
कितना अच्छा होता कि अगर
अच्छा होता उसके लिए ये नशा,
कितना अच्छा होता कि हमेशा रहता
ज़िन्दगी में ऐसा ही सुकून और
हमेशा रहती ऐसी ही राहत,
कुछ ऐसे ही ख्वाहिशें कर रहा होता है
उस नशेडी का एक बच्चे जैसा दिल,
लेकिन सच्चाई तो फिर सच्चाई है
कि बुरी चीज़ बुरी थी - बुरी है और
हमेशा बुरी ही रहेगी उसके लिए....
इससे जितनी ज़ल्दी उबर जाए उतना अच्छा
क्योंकि ये नशा - ये ख़ुशी - ये सुकून
हो सकता है एक सुखद पड़ाव
लेकिन ज़िन्दगी के लिए एक मंजिल
कभी नहीं - कभी नहीं - कभी नहीं !!!!
- VISHAAL CHARCHCHIT
1 comment:
बस कुछ समय के लिये उन दुखों को भुलाना जो थोड़े दिन में स्वतः ही चले जायेंगे।
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