Monday, May 7, 2012

पहली बार वीर रस में थोडा हास्य मिलाकर एक नया प्रयोग किया है......साथ ही वीर रस और देश भक्ति की ज्यादातर रचनाएँ पाकिस्तान और आतंकवाद पर देखने को मिलती हैं.......मैंने चीन को लपेटे में लिया है.......आशा है आप सबको पसंद आएगा मेरा यह प्रयोग............

3 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

बड़ी दमदार कविता।

दिगम्बर नासवा said...

वाह ... आपने तो चीनियों कों भी चने चबवा दिये ... धमाकेदार रचना है ...

विशाल सिंह (Vishaal Singh) said...

प्रवीण जी तथा दिगंबर जी...........आप दोनों का ह्रदय से आभारी हूँ !!!!

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