छुएगी मेरे जिस्म को कई सालों बाद
गाँव की ताज़ा और खुशबू भरी हवा,
उतरेगा मेरे हलक से कई सालों बाद
गाँव के कुएं का कुदरती साफ़ पानी...
क्या गज़ब महसूस करेगा मेरा दिल
जब होंगे मेरे सामने मेरे सबसे अपने,
क्या खूब होगा वो - वक्त वो लम्हा जब
पास होगी माँ - उसका ममतामयी आँचल....
सुनता रहूँगा चुपचाप ध्यान से हर बात
धर्म की - ईश्वर की - समाज की - देश की
जो समझायेंगे पिताजी - मेरे पहले गुरु,
निकालेगी कई सालों का गुबार दिल से
प्यार से शिकायती लहजे में मेरी बहना....
देखने - सुनने - महसूस करने को मिलेंगे
गाँव के लोग - उनकी बातें - रीति रिवाज़,
छत पर खुले आसमान के नीचे सोना
बरसात की रिमझिम फुहार का नज़ारा.....
ये सारी की सारी अमृतमयी चीज़ें होंगी
मेरे आस पास - मेरे बहुत करीब,
जिन्हें दूर - बहुत दूर कर दिया मुझसे
ज़िन्दगी की तमाम ज़रूरतों ने
मेरी आसमान छूने की चाहत ने.....
सच कहूं तो अब लगता है कि
किस काम की ऐसी ज़िन्दगी
किस काम के ऐसे सपने जो
दूर कर दें अपनों से - अपनी मिटटी से.....
- VISHAAL CHARCHCHIT
1 comment:
बहुत ही सुन्दर..
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