Thursday, June 14, 2012



इंतिहाऐं इश्क की कम नहीं होती
वो अक्सर टूट जाया करती हैं
मुकम्मल सी वो कुछ यादें
बातों के साथ छूट जाया करती हैं
पहलू बदल जाते हैं जिंदगी के
उन तमाम किस्सों को जोड़ते
जुड़ती है तब जब
ये साँसे डूब जाया करती हैं
©दीप्ति शर्मा

5 comments:

दिगम्बर नासवा said...

सक्स्च है जीवन थोड्स पड़ जाता है यादों कों समेटते समेटते ...

ANULATA RAJ NAIR said...

बेहद खूबसूरत!!!!!!!!!!!

अनु

मेरा मन पंछी सा said...

बहुत ही सुन्दर..
हृदयस्पर्शी भाव...
:-)

Coral said...

sundar

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत खूब दीप्ति जी


सादर

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