कड़ी आजमाइश - कडा इम्तहान
फंसी है बड़ी अपनी आफत में जान...
वहाँ हर घडी ऐंठी रहती माशूका
यहाँ घर में अब्बा मरोड़े हैं कान...
मुहब्बत में कडकी के जलवे बड़े
जब देखो तब जेब लहूलुहान...
एक तो बड़ा घाव है बेरोज़गारी
जिसपे छिड़कता नमक खानदान...
डिग्रियां देखकर मुंह बनाते हैं वो यूँ
जैसे तजुर्बा लिए पैदा होता जहान...
इधर चोंच हमसे लड़ाती है वो
उधर दिल में रहता है सलमान खान...
'चर्चित' निकम्मे थे तुम भी कभी
नहीं चलती थी जब तुम्हारी दूकान...
- VISHAAL CHARCHCHIT
1 comment:
बहुत खूब..
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