Saturday, October 6, 2012



ऐ रिक्सा.....
हां बाबू,
जाएगा..?
हां बाबू
जाएगा तो चल।
कितना लेगा
बीस टाका बाबू,
क्या..?
बीस...माथा खराब है
नहीं बाबू,
बाजार खराब है
सतुओ के जुगाड़ नइखे...
पंद्रह लेगा...?
नहीं मालिक...पोसाता नहीं है
भोरे से खटता है
दू मुठा भात का जोगाड़ नहीं है..
तउना पर बाल-बच्चा गांव में
किकियाता है।
बारिश-बूनी पड़ता है,
बजार एकदम्मे बइठ गईल बा बाबू..

हुम्म...
सामने पूजा है...बाजार हाट कुच्छो नहीं होगा
हम लोग्गो को तनखा-बोनस थोड़े कोई देता है
रोज कूआं खोदता है त पानी पीता है...
अच्छा अपना कहानी बंद करो...
माथा खाराब मात कोरो...
बोलो ठीक से, कितना लेगा...?
मालिक बीस ठो दीजिएगा त तुरंते चहुंपा देब...
बीस ठो से कम का लेगा...!
चल सतरह टाका देगा
ना बाबू...
जाओ...आर जेते होबे ना...
(जाओ...जाना नहीं है)

......अल्पविराम....

ऐ...टैक्सी...टैक्सी.....
हाथी बागान.........जाबे (जाएगा)
तिरीश टाका (तीस रुपया) एक्स्ट्रा लागबे...
(टैक्सी वाला भागने की फिराक में)
अरे बाबा...दांडा़ओ...दांड़ाओ.. (रोको..रोको)
गोली ते जाबो ना किन्तु, पोरिस्कार बोले दिलाम
(गली में नहीं जाऊंगा, साफ कह दिया)
मेन रास्ताए छाड़ते होबे...पोंचास टाका एक्स्ट्रा किन्तु..
(मुख्य रास्ते पर ही छोड़ना होगा, 50 रपए अतिरिक्त, मीटर से)
ठीक आछे भाई.....

पूजा की खरीदारी के थैले लेकर ग्राहक
दरवाजा खोलकर टैक्सी में बैठता है
टैक्सी चल पड़ती है...
रिक्सा वाला...
लूंगी की मरोड़ ढीला कर
राजा खैनी का पुड़िया निकालता है।
ग्राहक उसके रिक्सा पर जहां पैर रखता है,
वहीं बैठकर अपनी हथेली पर खैनी रगड़ता है
पास के रिक्सेवाले को भी आमंत्रण देता है
खइब...?
बनाव...?

कोलकाता की शाम ढलती है।।।।।।
कुछ देर बाद ग्राहक अपने गंतव्य पर पहुंचेगा
टैक्सी वाला मीटर से 50 रुपए अतिरिक्त लेगा
रिक्सावाला अपनी किस्मत कोसता रहेगा।।
वह जैसा कल था, उसका आज भी वैसा है
कोलकाता में उसके पास न घर है, न पैसा है.....

-कुंवर प्रीतम
5-10-2012

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