Monday, December 3, 2012

वो प्रेम की है अनुभूति
उसमें आस है
विश्वास है
जो पनपती है
प्रज्वलित हो लौ की तरह.
©दीप्ति शर्मा


2 comments:

Madan Mohan Saxena said...

बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.
आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.

Mamta Bajpai said...

सच है

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