Wednesday, December 19, 2012

कब तक आबरू अपनी खोयेगी
हैवानियत पर फूट फूटकर रोयेगी
शरम करो नौजवानों, रहते तुम्हारे
कब तक वो नारी काल के गाल में सोयेगी??
© दीप्ति शर्मा

No comments:

LinkWithin

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...