Tuesday, January 22, 2013

खटरागी हूँ....

संगीत विधा का
कोई ज्ञाता ही
बता सकता है
रागों के बारे में
फिर भी एक राग है
जो मुझ को आता है
वह राग
खटराग कहलाता है।

खट-खट-खट- के स्वर
खट-खट-खट- के उतार चढ़ाव
खट-खट ध्वनि
कभी धीमी
कभी तेज़
खट-खट-खट- की संगत
खटकती रहती है
हर पल
मेरे कमरे में।

मन की डोर से बंधी
नर्तन करती
कठपुतली जैसी उँगलियाँ
मानो छेड़ रही हों तान
अभिव्यक्ति के
हारमोनियम पर।

पर यह
बहुत ही साधारण यंत्र है
मेरे कंप्यूटर का तंत्र है
प्रयोग कर्ता स्वतंत्र है
'की बोर्ड' का
अनुरागी हो जाने को
मेरी तरह
खटरागी कहलाने को।  

©यशवन्त माथुर©

1 comment:

दिगम्बर नासवा said...

सभी ब्लोगिये खटरागी ही है ...
बहुत खूब यशवंत जी ...

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