मोटरों से चीखते
चौराहों के शोर में
दिन के उजाले में
रातों में
और क्षणिक भोर में ....
तनहाई में
नींद में
या बंद आँखों की ओट में ....
आगे बढ्ने की दौड़ में
आज के इस दौर में
सब कुछ है हर जगह
पर
शांति कहाँ है ?
©यशवन्त माथुर©
चौराहों के शोर में
दिन के उजाले में
रातों में
और क्षणिक भोर में ....
तनहाई में
नींद में
या बंद आँखों की ओट में ....
आगे बढ्ने की दौड़ में
आज के इस दौर में
सब कुछ है हर जगह
पर
शांति कहाँ है ?
©यशवन्त माथुर©
1 comment:
ध्यान लगा कर सुनें तो बस कोलाहल..
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