Tuesday, February 12, 2013

नज़र जब देखती है.....

नज़र -
जब देखती है
आसमान में उमड़ते
काले बादल
नज़र -
जब देखती है
कड़कती बिजली
और झमाझम बारिश
नज़र -
जब देखती है
बारिश के बाद का
सुनहरा -ताज़ा सा
और कुछ मैला- काला सा
चित्र
शायद तभी एहसास होता है
वर्तमान-भविष्य और भूत के
आपस में गुंथे होने का!

©यशवन्त माथुर©

2 comments:

deepti sharma said...

waah bahut khub

दिगम्बर नासवा said...

सहो कहा है यश्वन्य जी ... प्राकृति हर रंग का एहसास करा देती है जीवन में ...

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