Thursday, February 21, 2013

अनकही बातें ......

कभी कभी
कुछ बातें
रह जाती हैं
अनकही
अनसुनी
कभी चाहे
कभी अनचाहे
कभी धोखे में
या कभी जान कर
फिर भी
उन बातों को
सुन
समझ लिया जाता है
गूंगी जीभ के स्वाद
और
अंधे को दिखाई देती
हर तस्वीर की तरह।

©यशवन्त माथुर©

2 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

बिना शब्दों के ही व्यक्त हो जाती हैं ये बातें।

Madan Mohan Saxena said...



बहुत सुन्दर .

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