Thursday, June 6, 2013

फर्क नहीं पड़ता

यूं तो दीवारों पर लटकी हुई हैं तस्वीरें
गर्द जम भी जाए तो फर्क नहीं पड़ता

चेहरा तो वही भले ही धूल के मुखौटे में
राज़ छुप भी जाए तो फर्क नहीं पड़ता

वक़्त की दीमक खोखला कर दे भले ही भीतर से
असली सूरत हो वही तो फर्क नहीं पड़ता

फर्क नहीं पड़ता बस कहने भर की बातों से
एक बूंद कम होने से समुंदर कम नहीं पड़ता

यूं तो दीवारों पर लटकी हुई हैं तस्वीरें
कोई डाले न इक नज़र तो फर्क नहीं पड़ता। 

~यशवन्त माथुर©

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