Sunday, October 6, 2013

बचपना वचपना मस्तियां वस्तियां




















/////// एक गजल ///////

बचपना वचपना मस्तियां वस्तियां
भूल बैठे हैं हम तख्तियां वख्तियां

अब वो गेंदों से बचपन का रिश्ता नहीं
घूमते थे कभी बस्तियां बस्तियां

टीवी नेट की लतें लग गयीं इस कदर
अब लुभाती नहीं कश्तियां वश्तियां

खुदकुशी तक की नौबत पढ़ाई में है
क्या करेंगे मटरगश्तियां वश्तियां

ऐब बच्चों में तो चाहिये ही नहीं
बस बड़े ही करें गल्तियां वल्तियां

- विशाल चर्चित

1 comment:

yashoda Agrawal said...

आपकी लिखी रचना की ये चन्द पंक्तियाँ.........

बचपना वचपना मस्तियां वस्तियां
भूल बैठे हैं हम तख्तियां वख्तियां
अब वो गेंदों से बचपन का रिश्ता नहीं
घूमते थे कभी बस्तियां बस्तियां
बुधवार 09/10/2013 को
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
को आलोकित करेगी.... आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
लिंक में आपका स्वागत है ..........धन्यवाद!

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