//// एक तरही गजल ////
बुझे चराग जले हैं जो इस बहाने से
बहुत सुकून मिला है तेरे फिर आने से
बहुत दिनों से अंधेरों में था सफर दिल का
इक आफताब के बेवक्त डूब जाने से
नया सा इश्क नयी सी है यूं तेरी रौनक
लगे कि जैसे हुआ दिल जरा ठिकाने से
चलो कि पा लें नई मंजिलें मुहब्बत की
बढ़ा हुआ है बहुत जोश चोट खाने से
कसम खुदा की तेरे साथ हम हुए चर्चित
जरा सा खुल के मुहब्बत में मुस्कुराने से
- विशाल चर्चित
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