Saturday, May 3, 2014

कंकाल


शमशान में रात दिन
जलती चिताओं का
उड्ता धुँआ सबको दिखता है
पर तिल तिल जल,
मन का कंकाल बनना
किसी को नहीं दिखता ।
-- दीप्ति शर्मा


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