Thursday, November 6, 2014

खुश हो लेते हैं रौशनी की कल्पना से ही...

अंधेरा है अब भी 
पर खुश हो लेते हैं
रौशनी की कल्पना से ही...

दुःख हैं बहुत से
पर दबा देते हैं
तमाम सुखों के 
काल्पनिक 
एहसासों से...

मुश्किलें हैं अनगिनत
पर हल कर लेते हैं
उन्हें खयालों में ही
हकीकत में हल होने तक...

खुशियां आती हैं जिन्दगी में
बहुत कम और कभी - कभी
पर मिला लेते हैं हमेशा इसमें
दूसरों की खुशियां और
 

बना डालते हैं अपने आसपास
एक खुशियों का सुन्दर सा जहां...

व्यस्त इतने रहते हैं
अपनों का हाल पूछने में कि
वक्त ही नहीं मिलता 
अपने हाल पर रोने का...

कमाई बहुत ज्यादा नहीं है पर
लोगों की दुआयें इतनी हैं कि
ख्वाबों में ही सही
बहुत मजे में कट रही है जिन्दगी...

- विशाल चर्चित

4 comments:

yashoda Agrawal said...

आपकी लिखी रचना शनिवार 08 नवम्बर 2014 को लिंक की जाएगी........... http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

Pratibha Verma said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति।

विशाल सिंह (Vishaal Singh) said...

यशोदा जी आभार !!!

विशाल सिंह (Vishaal Singh) said...

प्रतिभा जी धन्यवाद !!!

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