ये वो माँ है जिसके सारे बच्चे अच्छे पद व रुतबे,
कोठी व कार वाले हैं
ये वो माँ है जिसने दो रुपये की खादी की साड़ी पहन बच्चों को अच्छे कपड़े पहनाये
ये वो माँ है जो खुद भूखी रही पर बच्चों का पेट भरा
खुद के बच्चों का पालन सब करते हैं
ये वो माँ है जिसने अपने बच्चों के साथ दूसरे बच्चे भी पाले उनकी भी शादियाँ करायी
ये वो माँ है जो आज तरसती है
दो रोटी के लिए
ये वो माँ है जो परेशान है अपनों के दिए दर्द से
ये वो माँ है जो अकेली है सबके होते एकदम अकेली
ये वो माँ है जो छुप गयी है चेहरे की झुर्रीयों में
ये वो माँ है जिसके सफ़ेद बालों ने अँधेरा होने का अहसास कराया है
हाँ ये वही माँ है जिसके कँपते हाथ अब तुम्हारे काम नहीं आते
वही माँ है यह जिसकी बूढ़ी आँखें अब तक बच्चों का रास्ता तक रही हैं
जो बंद होने से पहले कुछ मोहलत लिए हुए एकटक खुली रह गयी हैं
Sunday, January 3, 2016
माँ
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 comment:
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 05 जनवरी 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
Post a Comment