राजाणा की जिस धरती ने,पुरखों का था किया वरण
उस धरती को शीश नवाऊं,पकड़ूं बारम्बार चरण
किस विध करूं बखान,ये धरती कितनी पावनदायी है
जन्म मिला इस धरती पर,यह सबकी जीवनदायी है
गाथा इसकी अजर-अमर,इतिहास लिखा सम्मान का
कण-कण संघर्षों से भरा और साक्षी स्वाभिमान का
धर्म-चेतना और अध्यात्म की ज्योत यहां जलती आयी
तेरापंथ ने इसी धरा पर प्रज्ञा की किरणें पायी
इसी धरा पर आचार्यों ने,चौमासे हैं कई किए
युवाचार्य बने महाप्रज्ञ,और मोछब भी कई हुए
महाश्रमण ने आचार्यत्व में पहला मोछब यहीं किया
बात रखी अपने गुरुवर की,सबने ज्ञान-अमृत पिया
दूर-दिशावर गए कभी जो,रोजगार के वास्ते
विकसित होने के दिए,इस धरती ने रास्ते
कलकत्ता,दिल्ली,मुंबई और सेठ बसे जो अमदाबाद
इसी धरा के पुण्य प्रताप से है सबका घर आज आबाद
ऋणी सदा इस धरती के हम,एक प्रार्थना यही करें
जन्मभूमि की खातिर हम भी,काम बड़ा कुछ यहां करें
चूरु जिले का मान बढ़ाता आया है राजलेदसर
इसकी मिट्टी की खुशबू के आगे क्या आए केसर
आओ भाई, सारे जागो,जन्म भूमि का करें वन्दन
काम बड़ा मिल करें,लगाएं इसके मस्तक पर चन्दन
कुंवर प्रीतम
उस धरती को शीश नवाऊं,पकड़ूं बारम्बार चरण
किस विध करूं बखान,ये धरती कितनी पावनदायी है
जन्म मिला इस धरती पर,यह सबकी जीवनदायी है
गाथा इसकी अजर-अमर,इतिहास लिखा सम्मान का
कण-कण संघर्षों से भरा और साक्षी स्वाभिमान का
धर्म-चेतना और अध्यात्म की ज्योत यहां जलती आयी
तेरापंथ ने इसी धरा पर प्रज्ञा की किरणें पायी
इसी धरा पर आचार्यों ने,चौमासे हैं कई किए
युवाचार्य बने महाप्रज्ञ,और मोछब भी कई हुए
महाश्रमण ने आचार्यत्व में पहला मोछब यहीं किया
बात रखी अपने गुरुवर की,सबने ज्ञान-अमृत पिया
दूर-दिशावर गए कभी जो,रोजगार के वास्ते
विकसित होने के दिए,इस धरती ने रास्ते
कलकत्ता,दिल्ली,मुंबई और सेठ बसे जो अमदाबाद
इसी धरा के पुण्य प्रताप से है सबका घर आज आबाद
ऋणी सदा इस धरती के हम,एक प्रार्थना यही करें
जन्मभूमि की खातिर हम भी,काम बड़ा कुछ यहां करें
चूरु जिले का मान बढ़ाता आया है राजलेदसर
इसकी मिट्टी की खुशबू के आगे क्या आए केसर
आओ भाई, सारे जागो,जन्म भूमि का करें वन्दन
काम बड़ा मिल करें,लगाएं इसके मस्तक पर चन्दन
कुंवर प्रीतम
1 comment:
बहुत उम्दा!
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