Thursday, August 18, 2011

तेरा मन मेरा दर्पण है

कुछ ख्वाब ह्रदय में रहते हैं , कुछ आँखों में बस जाते हैं |
मेरी पलकों के साये में , ख्वाबों के चरागाँ रोशन हैं ||
सोचा था कि तुमसे बात करूँ , मैं अपने दिल का हाल कहूँ |
पर आज जो तुम मौजूद यहाँ , तो मेरे अधरों पर कंपन है ||
लब खुलते हैं कुछ कहने को , पर लफ्ज ही गुम हो जाते हैं |
तुम खुद से इसे समझ लेना , जो मेरे दिल की तड़पन है ||
जब काले घने अंधेरों में , मैं तनहा सा महसूस करूँ |
उस वक्त मुझे बहलाने को , तेरी यादों का दामन है ||
अभी मैं तुमसे दूर हूँ पर , मैं फिर भी तुमसे दूर नहीं |
मेरा मन तेरा दर्पण है , तेरा मन मेरा दर्पण है ||

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