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Friday, August 19, 2011
कुंवर प्रीतम का मुक्तक
पिता के पास था लेकिन,गया क्यूं दूर अब समझा
उड़ानें उसको भरनी थीं,पिता मजदूर था समझा
पराई भूमि पर दिन चार क्या बीते,गजब बदला
मगर बेनूर मां की आंख का दस्तूर ना समझा
कुंवर प्रीतम
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