नंगी आंखों से देखा जब हमने दुनिया का मंजर
मुख में वाणी मीठी लेकिन पीठ के पीछे था खंजर
आज यही आलम दुनिया में,हरसू पसरा है प्रीतम
जिस धरती पर नाज था हमको, आज वही बंजर-बंजर
कुंवर प्रीतम
कैसे कैसे खेल दिखाते हैं संसद में नेताजी
औंधे मुंह गिर जाने को भी जीत बताते नेताजी
संविधान की शपथ पढ़ी पर देश बेचने निकल पड़े
जाने किन-किन देशों में हैं माल जमाते नेताजी
कुंवर प्रीतम
5 comments:
ऊपर बैठा आदमी बचा क्या !!!
BOHOT KHOOB
bahut khub
mazedar likhe.....
wahhhh
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