Monday, August 29, 2011

कुंवर प्रीतम के मुक्तक



नंगी आंखों से देखा जब हमने दुनिया का मंजर
मुख में वाणी मीठी लेकिन पीठ के पीछे था खंजर
आज यही आलम दुनिया में,हरसू पसरा है प्रीतम
जिस धरती पर नाज था हमको, आज वही बंजर-बंजर
कुंवर प्रीतम 


कैसे कैसे खेल दिखाते हैं संसद में नेताजी
औंधे मुंह गिर जाने को भी जीत बताते नेताजी
संविधान की शपथ पढ़ी पर देश बेचने निकल पड़े
जाने किन-किन देशों में हैं माल जमाते नेताजी
कुंवर प्रीतम

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