Monday, August 8, 2011

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नही पूछता क्या संग चलोगी जीवन के पथरीले पथ पर
नही पूछता क्या संग जलोगी दुखों के अग्नि रथ पर
कहता नही मैं ये भी की दुल्हन बन मेरे घर आओ]
कहता नही के जूही बन क्र आँगन में मेरे शरमाओ
न प्रेम की बातें तू से न ही कोई परणय निवेदन
क्या तडपती हो विरह में इस पर नही ह कोई विवेचन
पर तुमे ह शपथ तुम्हारी बतलाओ तुम
क्या प्यार मुझ्र तुम करती हो
क्या याद मुझे तुम करती हो

1 comment:

deepti sharma said...

kya tm mujhe yaad karti ho
bahut sunder

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