कभी फागन,कभी सावन,मुझे हर रूत सताती है
मिलन मावस औ पूनम का,न होता,मां बताती है
शनिचर ले रहा अंगड़ाइयां मेरे मुकद्दर में
कुंवर को आसमानी चाहतें अक्सर सताती हैं
कुंवर प्रीतम
कृष्ण और शुक्ल पक्ष यही तो जीवन के दो रंग हैं बंधू .चार दिन की चांदनी फेर अँधेरी रात ......,फिर होता प्रभात ,......सुन्दर भाव जगत की रचना ,सहज सरल मनोहर अभिव्यक्ति .जय अन्ना .जय श्री अन्ना .
बृहस्पतिवार, १८ अगस्त २०११ उनके एहंकार के गुब्बारे जनता के आकाश में ऊंचाई पकड़ते ही फट गए ... http://veerubhai1947.blogspot.com/ http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/ Friday, August 19, 2011 संसद में चेहरा बनके आओ माइक बनके नहीं .
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कृष्ण और शुक्ल पक्ष यही तो जीवन के दो रंग हैं बंधू .चार दिन की चांदनी फेर अँधेरी रात ......,फिर होता प्रभात ,......सुन्दर भाव जगत की रचना ,सहज सरल मनोहर अभिव्यक्ति .जय अन्ना .जय श्री अन्ना .
बृहस्पतिवार, १८ अगस्त २०११
उनके एहंकार के गुब्बारे जनता के आकाश में ऊंचाई पकड़ते ही फट गए ...
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Friday, August 19, 2011
संसद में चेहरा बनके आओ माइक बनके नहीं .
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