Thursday, September 29, 2011


हमको तो लगता नहीं,तुमको लगे तो लगे
हमको ठग सकते नहीं,तुम ठगे तो ठगे
दीप बुझाकर देश की आशा और उम्मीदों के
दिल्ली चैन से सो रही, जनता जगे तो जगे
कुंवर प्रीतम

आओ सुनाऊं गीत प्रीत का,नेह से इसका नाता है
ये हमको भी भाता है और ये तुमको भी भाता है
प्यार,मोहब्बत और चाहत के भाव भरे हैं शब्दों में
तन्हाई में गीत हमारा छिप-छिप हर दिल गाता है
कुंवर प्रीतम

अम्बे, रहमतें तेरी कभी क्या पा नहीं सकता
मेरा दिल गीत खुशियों के कभी क्या गा नहीं सकता
तुम्हारे आगमन से हो रहा उनका हृदय रौशन
गरीबों पे तुम्हारा दिल कभी क्या आ नहीं सकता
कुंवर प्रीतम

नौराते आ गए मैय्या,धरा पर आज आयी हैं
सुना भक्तों की खातिर मां,कुछ न कुछ तो लायी हैं
अमीरों के घरों में रोशनी पर रोशनी अम्बे
गरीबों को मगर देने,भवानी क्या क्या लायी है
कुंवर प्रीतम

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