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Friday, September 9, 2011
कुंवर प्रीतम का मुक्तक
मिलन की चाहतों में दिन भला हम कब तलक काटें
फरेबी वायदों का गम कहो,कहकर किसे बांटे
इलाही तल्खियां उसकी कहर ढातीं गजब मुझ पर
पेंचोंखम मुहब्बत के,बताओ किस तरह पाटें
कुंवर प्रीतम
1 comment:
केवल राम
said...
प्रसंशनीय ....!
September 9, 2011 at 10:43 AM
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1 comment:
प्रसंशनीय ....!
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