दो कपड़े और सांचा हड्डियों का
क्या कमाल दिखला गया,
नहीं ज़रूरत बंदूकों की
करके वो दिखला गया....
बातों में हो दम दुनिया झुकती
करो वही जो कहते हो,
सत्य - अहिंसा की अजेय
एक राह हमें दिखला गया....
दिल बड़ा हो दुनिया अपनी
दो लोगों का कुनबा क्यों,
लोग परेशां कुछ रिश्तों से
वो करोड़ों रिश्ते निभा गया.....
एक छोटी सी उथल - पुथल से
लोग सत्ता सुख पा जाते हैं,
वो जीवन भर संघर्ष के बदले
गोली भी हंसकर खा गया.....
कहाँ मिलेगा ऐसा फ़रिश्ता
अब इस कलियुग में 'चर्चित'
बापू तुम्हें नमन करने में
आँख से आंसू आ गया....
नहीं ज़रूरत बंदूकों की
करके वो दिखला गया....
बातों में हो दम दुनिया झुकती
करो वही जो कहते हो,
सत्य - अहिंसा की अजेय
एक राह हमें दिखला गया....
दिल बड़ा हो दुनिया अपनी
दो लोगों का कुनबा क्यों,
लोग परेशां कुछ रिश्तों से
वो करोड़ों रिश्ते निभा गया.....
एक छोटी सी उथल - पुथल से
लोग सत्ता सुख पा जाते हैं,
वो जीवन भर संघर्ष के बदले
गोली भी हंसकर खा गया.....
कहाँ मिलेगा ऐसा फ़रिश्ता
अब इस कलियुग में 'चर्चित'
बापू तुम्हें नमन करने में
आँख से आंसू आ गया....
1 comment:
बहुत बढिया प्रस्तुति।
लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती पर उनको नमन।
गांधी जी को नमन।
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