Saturday, April 21, 2012


कुंवर प्रीतम के नए मुक्तक
21 अप्रैल 2012

हां मैने भी मौन ले लिया,जब तुमको बात नहीं करनी
आंच प्रेम पर जो लाती हो, वो सौगात नहीं करनी
अपना प्रेम इबादत जैसा, प्रिए इसे ठुकराना मत
कल बोलोगे खुद तुमसे ही, तुमको बात नहीं करनी
-कुंवर प्रीतम


माना राहें एक नहीं, पर मंजिल अपनी एक थी
भेद भरा था भावों में,पर भाषा दिल की एक थी
प्रिये, राहमें चलने वालों का भी धर्म हुआ करता
मुकर गए पल भर में,जिनकी बातें कितनी नेक थी
-कुंवर प्रीतम https://www.facebook.com/pchandalia

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

बेहतरीन पंक्तियाँ

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