Friday, April 6, 2012


अपनाया जिस पल से उसको, सब कुछ उस पर वार दिया था
जो कुछ अपनी झोली में था, सब उस पर निसार किया था
हाय, मुकद्दर फिर भी उसने,कभी नहीं कहा अपना
जिसके वादे पर प्रीतम ने, दिल अपना बीमार किया था
-कुंवर प्रीतम


तरीका है मोहब्बत का अगर ये तो क्षमा करना
जो टूटे दिल हमारी बात से,उस पर क्षमा करना
हम अहले-दिल हैं, जज्बों की तिजारत हम नहीं करते
कुंवर इस खेल में हमसे हुआ घाटा, क्षमा करना
-कुंवर प्रीतम


फेसबुक
कभी अपना लगे इक पल, तो अगले पल पराया भी
किसी ने कुछ यहां पाया, तो अगले पल गंवाया भी
अजब संसार है फेसबुक, खुदा इसका अलग होगा
हंसाया जो कभी इक पल, तो अगले पल रूलाया भी
-कुंवर प्रीतम


यार मेरा ये कैसी सौगात दे गया
नींद पल भर न आए,वो रात दे गया
चैन से खुद सो रहा पराए ख्वाब में
हमको तन्हा रहने की खैरात दे गया
-कुंवर प्रीतम


1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

अत्यन्त रोचक सूत्र..

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