मनोबल
एक ऐसी दीवार होता है
जिसकी नींव
कभी कभी संशय में रहती है
कभी तन कर
अपनी जगह
बनाए रखती है दीवार को
और कभी
एक ठोकर में ही
ढह जाने देती है
मेरा मन
मेरा मनोबल
स्थिर है
चिकने घड़े की तरह
बे परवाह है
फिर भी
लातों की
कोशिशें जारी हैं
विध्वंस को
अंजाम देने की।
©यशवन्त माथुर©
एक ऐसी दीवार होता है
जिसकी नींव
कभी कभी संशय में रहती है
कभी तन कर
अपनी जगह
बनाए रखती है दीवार को
और कभी
एक ठोकर में ही
ढह जाने देती है
मेरा मन
मेरा मनोबल
स्थिर है
चिकने घड़े की तरह
बे परवाह है
फिर भी
लातों की
कोशिशें जारी हैं
विध्वंस को
अंजाम देने की।
©यशवन्त माथुर©
2 comments:
हर दिन स्थिर,
रातें संयत,
हर दिन बढ़ना,
अपने पथ पर।
कोशिश तो हर कोई करेगा ... पर आत्मबल तभी तो आत्मबल है ...
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