दीवारों के उस पार
आज तो नज़र आना ही है
सड़कों के उस पार
कदम बढ़ाना ही है
जहां बसता है 'लोक'
'तंत्र' की बाट जोहता हुआ
कूड़े के ऊंचे ढेरों में
जवानी को खोजता हुआ
बिना आँचल की छांव
सड़कों पर लोटता हुआ
रोता हुआ
या झुरमुटों की ओट में
तार तार होता हुआ
जो भी हो मजबूर 'भारत'
आज तो चमकना ही है
'इंडिया' की बोतल को पी कर
आज तो बहकना ही है
हो भले तस्वीर बदरंग
तिरंगा लहराना ही है
गीत भले ही हों पराए
पर आज तो गाना ही है
दीवारों के उस पार
आज तो नज़र आना ही है
चूने की सफेदी को गर्व से
राजपथ पे छाना ही है।
©यशवन्त माथुर©
सड़कों के उस पार
कदम बढ़ाना ही है
जहां बसता है 'लोक'
'तंत्र' की बाट जोहता हुआ
कूड़े के ऊंचे ढेरों में
जवानी को खोजता हुआ
बिना आँचल की छांव
सड़कों पर लोटता हुआ
रोता हुआ
या झुरमुटों की ओट में
तार तार होता हुआ
जो भी हो मजबूर 'भारत'
आज तो चमकना ही है
'इंडिया' की बोतल को पी कर
आज तो बहकना ही है
हो भले तस्वीर बदरंग
तिरंगा लहराना ही है
गीत भले ही हों पराए
पर आज तो गाना ही है
दीवारों के उस पार
आज तो नज़र आना ही है
चूने की सफेदी को गर्व से
राजपथ पे छाना ही है।
©यशवन्त माथुर©
1 comment:
shandaar.
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